A Secret Weapon For Shiv chaisa

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जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

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माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

है प्रभु मेरा अन्तर्यामी, सब का है वो रखवाला॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

शिव आरती

अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

ॠनिया जो shiv chalisa lyricsl कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

अर्थ- आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है। बाघ की खाल के वस्त्र भी आपके तन पर जंच रहे हैं। आपकी छवि को देखकर नाग भी आकर्षित होते हैं।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

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